104% टैरिफ का असर चीन की आर्थिक स्थिति गंभीर
इकोनॉमी वर्तमान में रियल एस्टेट और एक्सपोर्ट-ड्रिवन इकॉनमी पर निर्भर है, जिसमें अमेरिका को उसके द्वारा किया गया 500 बिलियन डॉलर से अधिक का निर्यात शामिल है। डॉनल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 104% टैरिफ का असर चीन की आर्थिक स्थिति पर गंभीर रूप से पड़ा है, जिसके कारण चीन को भारत से सहयोग की आवश्यकता महसूस हो रही है। भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने चीन की व्यापार नीतियों की आलोचना की, जहाँ चीन ने अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेस के माध्यम से अपनी वृद्धि की और विश्व के अन्य देशों को नुकसान पहुँचाया।
चीन भारत से सहयोग की मांग कर रहा है, जबकि उसने खुद पहले भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को हतोत्साहित किया था। ट्रंप के टैरिफ के बाद, कई कंपनियों ने भारत में उत्पादन करना शुरू कर दिया है, जिससे भारत को व्यापार में लाभ मिल रहा है, विशेषकर टेक्सटाइल और स्पेशलिटी केमिकल्स में। चीन ने भारत की अर्थव्यवस्था और व्यापार संबंधों को भी चुनौती दी है, जिसका व्यापार घाटा 118 बिलियन डॉलर तक बढ़ चुका है।
गोयल का स्पष्ट संदेश था कि चीन ने अपने फायदे के लिए अन्य देशों का शोषण किया है। भारत के कृषि निर्यात पर चीनी मानकों और निर्यात नियंत्रणों के कारण भी रोकावट आती है, और भारत को नॉन-टैरिफ बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन वर्तमान स्थिति भारत के लिए अपने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है, खासकर अगर चीन के निर्यात में कमी आती है, जिससे भारत को अमेरिकी बाजार में 150 बिलियन डॉलर तक का लाभ हो सकता है।
चाइनीज़ इकोनॉमी की अस्थिरता: चाइनीज़ इकोनॉमी का रियल एस्टेट क्षेत्र गंभीर संकट में है, जिससे पूरी अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है। यह दिखाता है कि चीन की आर्थिक वृद्धि कितनी अस्थायी हो सकती है, अगर उसके मुख्य इंजन कमजोर हो जाते हैं।
अमेरिका के टैरिफ का प्रभाव: अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ, चीन की निर्यात क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं। यह चीन की आर्थिक नीति को पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है, जोकि विश्व व्यापार में असमानता को बढ़ा रहा है।
भारत का रणनीतिक लाभ: चीन के संकट का लाभ उठाकर, भारत अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ा सकता है। इससे भारत को अमेरिकी बाजार में प्रमुखता मिल सकती है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
चीन की वैश्विक नीतियों का प्रभाव: चीन ने विश्व व्यापार में अपने फायदे के लिए अन्य देशों का शोषण किया है। इससे न केवल उसकी विश्वसनीयता प्रभावित हुई है, बल्कि अन्य देशों के साथ उसके व्यापारिक रिश्तों में भी तनाव बढ़ गया है।
व्यापार घाटा: भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा बढ़ने से दोनों देशों के सामाजिक और आर्थिक रिश्तों पर प्रभाव पड़ रहा है।
नॉन-टैरिफ बाधाएँ: भारत के उत्पादों को चीनी बाजार में प्रवेश में नॉन-टैरिफ बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे भारतीय उत्पादन को कठिनाइयां आती हैं। यह भारत के लिए एक चुनौती बन सकता है।
शैक्षणिक सुधार और प्रतिस्पर्धा: भारत को अपने शैक्षणिक और प्रतिस्पर्धात्मक आधार को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि वह वैश्विक स्तर पर अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सके।